नवरात्रि हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व श्रद्धा, भक्ति और मातृशक्ति के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। व्रत रखने वाले श्रद्धालु कन्याओं को भोजन कराने के उपरांत ही अपना उपवास समाप्त करते हैं। कन्या पूजा नवरात्रि के अष्टमी या नवमी के दिन की जाती है, और इस दिन छोटी कन्याओं को मां दुर्गा के रूप में पूजने की परंपरा है। माना जाता है कि कन्या पूजन के बिना मां की पूजा अधूरी होती है। 2024 में नवरात्रि 3 अक्टूबर से 11 अक्टूबर तक मनाई जाएगी, जबकि 12 अक्टूबर को माता दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन किया जाएगा।
कन्या पूजन का धार्मिक महत्व
कन्या पूजन का धार्मिक महत्व अत्यंत गहरा और पवित्र है। इस पूजा में 2 से 10 वर्ष की छोटी कन्याओं को मां दुर्गा के विभिन्न रूपों का प्रतीक मानकर उनका पूजन किया जाता है। यह पूजा भारतीय समाज में मातृशक्ति के सम्मान और उसकी पूजा की परंपरा को दर्शाती है। धर्मग्रंथों के अनुसार, कन्या पूजन से व्यक्ति को मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन में सुख-शांति, समृद्धि, और उन्नति का वास होता है।
कन्या पूजन केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं है, बल्कि यह समाज में स्त्रियों और माताओं के प्रति सम्मान और कृतज्ञता प्रकट करने का भी प्रतीक है। इसमें कन्याओं को देवी के समान माना जाता है और उन्हें विशेष रूप से आदर दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि कन्या पूजन से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और देवी दुर्गा प्रसन्न होती हैं।
नवरात्रि में कन्या पूजन की परंपरा
नवरात्रि में कन्या पूजन की परंपरा अत्यंत प्राचीन है और इसे सदियों से मनाया जाता आ रहा है। नवरात्रि के अंतिम दो दिनों, अष्टमी या नवमी के दिन, कन्याओं को घर बुलाया जाता है और उनका आदरपूर्वक पूजन किया जाता है। इस पूजन में कन्याओं के चरण धोकर उन्हें फूल, अक्षत (चावल), और मिठाइयों से सम्मानित किया जाता है।
इसके बाद, उन्हें खास भोजन परोसा जाता है, जिसमें हलवा, पूरी, और चना शामिल होता है। कन्याओं को वस्त्र, दक्षिणा, और उपहार देकर विदा किया जाता है। माना जाता है कि कन्याएं देवी का आशीर्वाद लेकर जाती हैं, जो घर के सभी सदस्यों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाती हैं।
कन्या पूजन की प्रक्रिया
कन्या पूजन की प्रक्रिया सरल और शास्त्रसम्मत होती है। आइए जानते हैं कि इस पूजा को कैसे संपन्न किया जाता है:
- कन्याओं का चयन: पूजा के लिए 2 से 10 वर्ष की आयु की कन्याओं का चयन किया जाता है। आदर्श रूप से नौ कन्याओं का चयन किया जाता है, लेकिन विषम संख्या में भी कन्या पूजन किया जा सकता है। साथ ही एक बालक को “बटुक भैरव” के रूप में पूजा जाता है।
- स्वागत और पूजन: कन्याओं का स्वागत करने के बाद उनके चरण धोए जाते हैं और उनके माथे पर तिलक लगाया जाता है। उन्हें माला पहनाई जाती है और फूलों से उनका पूजन किया जाता है।
- भोग और उपहार: पूजा के बाद कन्याओं को स्वादिष्ट भोजन परोसा जाता है। यह भोजन विशेष रूप से नवरात्रि के लिए बनाया जाता है, जिसमें हलवा, पूरी, चना, और मिठाई होती है। इसके बाद कन्याओं को दक्षिणा, उपहार, और वस्त्र देकर विदा किया जाता है।
- आशीर्वाद: पूजा संपन्न होने के बाद कन्याओं से आशीर्वाद लिया जाता है। यह आशीर्वाद बहुत ही शुभ माना जाता है और यह परिवार में समृद्धि और सुख का प्रतीक होता है।
2024 में नवरात्रि कन्या पूजन की तिथि और शुभ मुहूर्त
2024 में नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू होकर 11 अक्टूबर तक चलेगी। कन्या पूजन अष्टमी या नवमी के दिन किया जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष कन्या पूजा 11 अक्टूबर को होगी, 11 अक्टूबर को अष्टमी और नवमी तिथि एक साथ आ रही हैं। इस विशेष संयोग के तहत अष्टमी और नवमी के अवसर पर कन्या पूजा 11 अक्टूबर को ही करें।
शुभ मुहूर्त : सुबह 7:47 बजे से लेकर 10:41 बजे तक कन्या पूजन कर सकते हैं। इसके बाद दोपहर 12:08 बजे से 1:35 बजे तक भी पूजा संपन्न कर सकते हैं।